June 1, 2021
पुजारा दादा, IIT KGP और आपका सफर जानने से पहले हम आपके बारे में जानना चाहेंगे ? आपका खड़गपुर आना कैसे हुआ? आपकी शिक्षा और बचपन से जुड़ी कुछ बातें जानना चाहेंगे।
प्रश्न का जवाब देने से पहले दादा ने online ही सही लेकिन विद्यार्थियों से संवाद होने की ख़ुशी जाहिर की।
पुजारा जी बताते है की उनसे दो पुष्ट पहले उनके परदादाजी खड़गपुर में ब्रिटिश राज के चरम पर, सिंध (अब पाकिस्तान) के कराची से पलायन कर पहुंचे, यहाँ उनके परिवार को स्वतंत्र व्यापर करने की इजाज़त एवं व्यवस्था दी गयी| उनका जन्म खड़गपुर में ही हुआ, उन्होंने हिजली विद्यालय से(जो कैंपस के भीतर है) प्राथमिक शिक्षा हासिल की और यही से उनका IIT खड़गपुर के साथ सफर शुरू हुआ| किशोर अवस्था से ही उनका उठना बैठना कॉलेज के हमउम्र विद्यार्थियों के साथ होने लगा। पुजारी जी याद करते हैं कि कई बार उनका भोजन RK हॉल में रहने वाले उनके कई दोस्तों के साथ होता था, कॉमन रूम में साथ देखे गए क्रिकेट मैचों और हल्ला-गुल्ला कर अपनी टीमों की जीत-हार का एक समान जश्न मनाने का अलग ही रोमांच था। इसी समय उनके परिवार ने RK हॉल C-126 रूम में जनरल स्टोर खोलने का लाईसेंस लिया और वह बताते है की कई बार वः दूकान से गायब होकर छात्रों के साथ घूमने निकल जाते और जन्मदिनों के समय, बकायदा पार्टी भी लेते।
पुजारा जी जो IIT KGP की विकराल संस्कृति का अहम हिस्सा हैं उनका विद्यार्थियों, पूर्व-विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के साथ कैसा जुड़ाव रहा है? उनकी जिंदगी के किन्हीं अहम पलों को जानने की हम जिज्ञासा रखते है।
विनोद गुप्ता, जो IIT KGP में सिर्फ एक नाम नहीं है, दादा बताते है की उनका विनोद जी से पुराना सम्बन्ध है। पुजारा जी बताते है की इतने सालो में RK हॉल के प्रांगण में दुकान करते हुए उन्होंने कभी विद्यार्थियों और अपने बीच व्यापारी-ग्राहक का सम्बन्ध नहीं रखा बल्कि एक मित्र और कभी-कभी तो परिवार का सम्बन्ध निभाया| वह बताते हैं कि कई विद्यार्थियों के अभिभावकों के उन्हें फ़ोन आते हैं और उन्हें इस बात की प्रसन्नता है की विद्यार्थी एवं अभिभावक इस विचित्र रिश्ते का सम्मान भी करते है। दादा याद कर बताते है की RK हॉल के छात्रों के स्वास्थ्य बिगड़ने पर खुद उनके कमरे तक जाकर देखभाल भी की है। व्यापार, RK हॉल से उनके रिश्ते का एक अंश मात्र है।
दादा के 40 से अधिक वर्षों के अनुभव में खड़गपुर की विद्यार्थी-जीवन में कैसे बदलाव हुए ?
दादा अपने अनुभव से बताते है की इंटरनेट एवं स्मार्टफोन की वजह से हॉल में रहने के अनुभव की चटकता में भारी कमी आयी है, परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों में सहयोग-संवाद की भावना प्रभावित हुई है जो भारी अवसाद का कारण भी बन गया है।
SF एवं KTJ जैसे IIT के त्योहारों में रचनात्मकता एवं रुचि की सहभागिता में भी भारी गिरावट आयी है| Illu जैसे दुर्लभ अनुभवों में भाग होने पर लोग तिरछे रास्ते नापते है| वह बताते है की हॉल कॉमन रूम गौण होते जा रहे है क्योंकि विद्यार्थी कमरों में बंद रहना चाहते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
दादा बताते है की ज्यादातर रचनात्मक एवं गीत-संगीत के रंगारंग कार्यक्रम मूल्यतः विद्यार्थियों द्वारा ही किये जाते थे, पर अब कॉन्ट्रैक्ट एवं अतिथि कलाकार बुलाने की रीती पर दुःख जाहिर करते हैं। विद्यार्थियों के व्यवहार-विचार पर चिंता करते हुए पुजारा जी याद करते हैं कि छात्रों को भेजे गए खतों को छात्रों से पहले वह ही पोस्टमास्टर से लेते थे और कभी कभी तो प्रेमपत्रों को पहुंचाने या इस सम्बन्ध में जानकारी का अहम जरिया भी रहें हैं| वह हँसते हुए बताते है की किस तरह उनके उपनाम ‘स्वीटी’ से ‘भैया’, ‘दादा’ और अब में ‘अंकल’ पड़ गया है। वे ‘ग्रैंडपा’ कहलाने और शायद उसके बाद तक भी RK के छात्रों के बीच ही रहना चाहते हैं।
आपके जैसे कई और लोग हैं जिनके बिना IIT खड़गपुर अधूरा है, उन्हें इस कोरोना काल में क्या समस्याएं हुयी एवं इंस्टीट्यूट द्वारा क्या सहयोग मिला ?
दादा बताते है की उन्हें पूर्व वर्ष मार्च में बंदी का नोटिस मिला था, फिर बंदी काल निरंतर बढ़ता गया और उन्हें काफी दुःख हुआ जब पूर्ण वर्ष के अवधि के लिए उन्हें RK हॉल से दूर रहना पड़ा| जल्दबाज़ी में उन्हें व्यापारिक सामग्री का कम मुनाफे पर निस्तारण करना पड़ा जिससे उन्हें आर्थिक समस्या हुई लेकिन वह छात्रों एवं पूर्व छात्रों का शुक्रिया करते हैं की उन्हें उनका भारी सहयोग प्राप्त हुआ लेकिन उन्होंने इस सहायता को अपने समान सभी लोगों में निर्णय किया, उन्हें सक्षम गोयल(पूर्व हॉल-प्रेसिडेन्ट) से भी सहयोग मिला जिन्होंने हॉल-फण्ड में से सहायता पहुचायी, यहाँ तक की वार्डन से भी इससे संबधित जानकारियों के लिए संपर्क में रहे| वह बताते है की उन्हें ऐसी सहायता की आशा नहीं थी, वह प्रफुल्लित हैं की उनका विद्यार्थियों के लिए अपनापन विद्यार्थियों के प्यार के रूप में वापस व्यक्त हो रहा है।
वह इतनी मदद के बाद और किसी मदद के हक़दार महसूस नहीं कर रहे थे लेकिन छमाही उपरांत उन्हें रहत राशि की एक और किश्त प्राप्त हुई जिससे उनका आर्थिक बोझ काफी कम हुआ। वह आदित्य झा जी(RK हॉल के पूर्व निवासी) का भी धन्यवाद करते हैं|
पुजारा दा KGP जनता को ऐसे कठिन समय में क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
पुजारा जी ने RK हॉल में वापस जाने की ज़िद जाहिर की। एक दिन यह समय खत्म होगा और वे RK जा पाएंगे, यही सोच कर आगे बढ़ रहे है। वह कहते है की जनता को बोरियत अपने अंदर बनने नहीं देना है , कोरोना को ज़िन्दगी के एक पड़ाव एवं हिस्से की तरह समझना है और आगे बढ़ना है। दूरी के चलते चाहे कितना भी कठिन हो, हर समय दोस्तों के लिए खड़े रहना है।
अंत में वह जोश भरते हुए कहते है की वैक्सीन लगा कर रखो, सामान बांध कर रखो इंस्टिट्यूट का नोटिस मिले तो तुरंत निकल पड़ो। हमे फाइट हारना कभी नहीं है, सिर्फ ‘फाइट मारना’ है।